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दुविधा

हिंदी रचना
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जो हम जीते तो जनता की मेहरबानी नजर आती ,
जो हम हारे तो इ वी एम् में खराबी ही नजर आती ,
ये कैसा द्वंद कैसा द्वेष कैसा राग है प्यारे ,
समझ में तब ना आती थी समझ में अब भी ना आती .

प० विश्व बिजय शर्मा

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